36 गढ़FEATUREDLatestराजनीतिराष्ट्रीयविविध

विश्वविद्यालय हमारी सामूहिकता, ज्ञान और संस्कृति के संरक्षक : राज्यपाल रमेन डेका

अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय का 5वां दीक्षांत समारोह

अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय का 5वां दीक्षांत समारोह

अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय का 5वां दीक्षांत समारोह

अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय का 5वां दीक्षांत समारोह

अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय का 5वां दीक्षांत समारोह

महामहिम राज्यपाल श्री रमेन डेका और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज बिलासपुर के अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित 5वां दीक्षांत समारोह में शिरकत की। उन्होंने 64 विषयों में विद्यार्थियो को 92 गोल्ड मेडल तथा 48 को पी.एच.डी. और 35 हजार 291 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भारत के सर्वाेच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री प्रशांत कुमार मिश्रा शामिल हुए। उन्हें भारतीय न्याय व्यवस्था में अमूल्य योगदान पर पी.एच.डी. की मानद उपाधि से विभूषित किया गया। कार्यक्रम में इससे पहले दीक्षांत समारोह शोभायात्रा निकाली गई। दीक्षांत समारोह में अति विशिष्ट अतिथि के रूप में केन्द्रीय आवास एवं शहरी विकास राज्यमंत्री श्री तोखन साहू, उपमुख्यमंत्री श्री अरूण साव, राज्य की प्रथम महिला श्रीमती रानी डेका काकोटी शामिल हुई। विशिष्ट अतिथि के रूप में विधायक श्री अमर अग्रवाल, श्री धरम लाल कौशिक, श्री धरमजीत सिंह, श्री सुशांत शुक्ला, श्री अटल श्रीवास्तव एवं श्री दिलीप लहरिया शामिल हुए। राज्यपाल और मुख्यमंत्री सहित अन्य अतिथियों ने विश्वविद्यालय की त्रैमासिक पत्रिका कन्हार और मासिक पत्रिका अटल दृष्टि का विमोचन किया। कुलपति आचार्य अरूण दिवाकर नाथ वाजपेयी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।

दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल श्री रमेन डेका ने कहा कि विश्वविद्यालय हमारी सामूहिकता, ज्ञान और संस्कृति के संरक्षक है। वे ऐसे स्थान है जहां इतिहास संरक्षित किया जाता है। साहित्य का विश्लेषण किया जाता है। आप अपनी पढ़ाई के माध्यम से विचार के विविध क्षेत्रों मेें जुड़ रहें है मानवता के बारे में आपकी विचार को समृद्ध किया जा रहा है। भारत सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 दूरदर्शिता का प्रतिनिधित्व करती है। इसका उद्देश्य युवाओं को तेजी से गतिशील दुनिया में आगे बढ़नेे के लिए कौशल और ज्ञान से परिपूर्ण करना है। छत्तीसगढ़ के लिए यह नीति प्रगतिशील सुधारों की लहर लाती है, जो हमारे शैक्षणिक संस्थानों पर गहरा प्रभाव डालने के लिए तैयार है। विश्वविद्यालय में संचालित पाठ्यक्रम को न केवल उभरते हुए रूझानों और प्रौद्योगिकी के प्रति गतिशील और उत्तरदायी बनाना चाहिए बल्कि इसमें भारतीय परंपरा की समृद्ध विरासत भी शामिल होनी चाहिए। हम मिलकर एक उच्च शिक्षा प्रणाली का निर्माण कर सकते हैं, जो न केवल हमारे छात्रों की जरूरतों केा पूरा करेगी बल्कि हमारे राज्य और राष्ट्र के समग्र विकास में योगदान देगी।