डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा छत्तीसगढ़ के सोनहा बिहान के स्वप्नदृष्टा रहिन

छत्तीसगढ़ी भासा बर नरेंद्र देव वर्मा के अमूल्य योगदान
 प्रसिद्ध साहित्यकार, भाषाविद् अउ छत्तीसगढ़ राज्य – गीत के रचयिता डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा लउ उंखर जयंती म ओला नमन करिन । डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा ल याद करत  डॉ. वर्मा बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहिस। कवि, चिंतक, उपन्यासकार, नाटककार, सम्पादक अउ मंच संचालक जैसे कई भूमिका म वोहा अपन अमिट छाप छोडिस।
डॉ. वर्मा के लिखे हैं लोगन के अंतरआत्मा में उत्तर गेय है। उंखर हिंदी उपन्यास ‘सुबह की तलाश’ जब छत्तीसगढ़ी म अनुवाद के बाद “सोनहा विहान” के रूप में लोगन के बीच रंगमंच के माध्यम ले पहुंचिन, येकर ले आम लोगन के मंम सुनहरा सुबह के साकार हो के आसा जगिस सही अर्थ म वोहा छत्तीसगढ़ के सोनहा बिहान के स्वप्नदृष्टा रहिन। उंखर ओजपूरन व्यक्तित्व पल भर में लोगन ल प्रभावित कर देवत रहिन। अपन बिचार ले वोहा तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ल घलो गहराई तक प्रभावित करे रहिस।
 डॉ. वर्मा ह छत्तीसगढ़ी संस्कृति अउ भाषा अस्मिता ल बनाय रखे अउ वोला पहचान दिलाय में महत्वपुरन भूमिका निभाइस ‘अरपा-पइरी के धार, महानदी हे अपार…….. “के रूप म वोहा अमर रचना दिस, जेमा छत्तीसगढ़ महतारी के वैभव जीवंत हो उथिस । अब ये गीत डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा के पहचान अउ छत्तीसगढ़ के मान बन गेय है। उंखर कलम ले निकले ये गीत राज्य गीत के रूप में बस्तर ले के सरगुजा तक छत्तीसगढ़ वासी के आत्मा के गान बन चुके है। छत्तीसगढ़ के इसे वंदना ओखर सच्चा सपूत ही कर सकत है।
बघेल ह कहिन कि डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा ह “छत्तीसगढ़ी भाषा अठ साहित्य का उद्विकास बिसय म सोध करिन अठ पीएचडी के उपाधि लिन वोहा छत्तीसगढ़ी गीत संग्रह ‘अपूर्वा हिंदी उपन्यास ‘सुबह की तलाश’ जइसे कई ग्रंथ के रचना करिस उंखर रचना म छत्तीसगढ़ के जनजीवन अठ संस्कृति के सजीव चित्रन मिलत है। उंखर लिखे ‘मोला गुरु बनई लेते छत्तीसगढ़ी प्रहसन’ अब्बड़ लोकप्रिय होइस  छत्तीसगढ़ी भासा बर नरेंद्र देव वर्मा के अमूल्य योगदान हमेसा याद करे जाहि

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