किसान सम्मान का स्वर्णिम दौर – जिले में अब तक 41 हजार क्विंटल से अधिक की धान खरीदी पूरी
जिले में किसानों का विश्वास और सुशासन का आदर्श मॉडल
मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में किसान सम्मान और प्रशासनिक दक्षता का ऐतिहासिक संगम

छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है और यहां की असली पहचान मिट्टी, मेहनत और किसान की निष्ठा से मिलती है। वर्षों से धान बेचने के दौरान तौल, टोकन, भुगतान और व्यवस्थागत दिक्कतें किसानों के लिए सबसे कठिन समय बनती थीं, लेकिन इस वर्ष तस्वीर बदली है। खेतों से उपार्जन केंद्र तक किसान केवल फसल नहीं बल्कि सम्मान लेकर लौट रहा है। खरीदी व्यवस्था पहली बार सिर्फ सरकारी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि किसान सम्मान अभियान का स्वरूप ले चुकी है। किसानों के चेहरे पर जो विश्वास और सुकून दिखाई दे रहा है वह केवल उपज की खुशी नहीं बल्कि शासन की ईमानदार नीतियों, पारदर्शी प्रणाली और संवेदनशील नेतृत्व का परिणाम है। इस खरीदी वर्ष में सबसे बड़ा ऐतिहासिक निर्णय समर्थन मूल्य और खरीदी सीमा को लेकर लिया गया। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सरकार ने पिछले वर्ष के भाती इस बार भी प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी का निर्णय किया है और समर्थन मूल्य 3100 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, जो किसानों के लिए अब तक का सर्वाधिक लाभकारी मॉडल साबित हो रहा है। सीधे बैंक खातों में भुगतान से विश्वसनीयता बढ़ी है, लेनदेन पारदर्शी हुआ है, बाजार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी आई है और किसानों के जीवन में आर्थिक स्थिरता की मजबूत नींव रखी गई है। यह खरीदी किसानों के लिए सिर्फ आर्थिक सुरक्षा नहीं बल्कि वर्षों की प्रतीक्षा और संघर्ष के बाद हासिल हुई गरिमा और सम्मान की जीत है।
सुशासन का सशक्त मॉडल – पारदर्शिता, जवाबदेही और किसान केंद्रित व्यवस्था
इस बार एमसीबी जिले की उपार्जन केंद्रों पर न भीड़ है, न अव्यवस्था, न पक्षपात की शिकायत और न किसी प्रकार का दबाव। समयबद्ध टोकन वितरण, नमी परीक्षण में पारदर्शिता, तौल की सटीकता, एसएमएस के माध्यम से सूचना, भुगतान में शून्य देरी और त्वरित निपटान इस बार की खरीदी व्यवस्था को ऐतिहासिक बनाते हैं। किसानों का विश्वास अब महसूस किया जा सकता है। प्रशासन, समिति और किसान के बीच भरोसे की कड़ी इतनी मजबूत कभी नहीं रही। मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले की तीनों ब्लॉक मनेंद्रगढ़, भरतपुर और खड़गवां में 17 नवम्बर 2025 से अब तक जिले में खरीदी की प्रगति इसकी वास्तविकता को साबित करती है। कछौड़ केंद्र में 466.40 क्विंटल, कमर्जी में 796.40 क्विंटल, केल्हारी में 4315.60 क्विंटल, कोटाडोल में 724.40 क्विंटल, रापा में 532.20 क्विंटल, कटकोना में 1048.80 क्विंटल, कोड़ा में 2778.00 क्विंटल, कौड़ीमार में 3662.40 क्विंटल, खड़गवां में 1952.40 क्विंटल, बरदर में 2479.60 क्विंटल, रतनपुर में 1000.40 क्विंटल, सिंगहत में 857.20 क्विंटल, कंजिया में 468.80 क्विंटल, कुंवारपुर में 1626.40 क्विंटल, घुटरा में 1345.60 क्विंटल, कठौतिया में 261.20 क्विंटल, चैनपुर में 622.00 क्विंटल, बंजी में 584.80 क्विंटल, जनकपुर में 3931.60 क्विंटल, बहरासी में 1962.00 क्विंटल, डोड़की में 1751.60 क्विंटल, नागपुर में 1189.60 क्विंटल, बरबसपुर में 903.20 क्विंटल, माड़ीसरई में 3911.60 क्विंटल तथा सिंगरौली में 2650.00 क्विंटल धान की खरीदी दर्ज की गई है। कुल मिलाकर मात्र 12 दिनों में जिले में 41,822.20 क्विंटल धान की खरीदी पूरी हो चुकी है। यह आंकड़ा सिर्फ मात्रा नहीं बल्कि प्रशासन की तैयारी, नीति की पारदर्शिता और किसानों के भरोसे का सशक्त प्रमाण है।
खरीदी व्यवस्था की ऐतिहासिक दक्षता – पूर्व तैयारी, समन्वय और आधुनिक प्रबंधन की मिसाल
पिछले वर्षों में खरीदी के दौरान बारदाना की कमी, परिवहन में देरी, गोदाम क्षमता, श्रमिकों की उपलब्धता और लाइन प्रबंधन प्रमुख समस्याएं थीं। इस वर्ष प्रशासन पहले दिन से रणनीति के साथ उतरा। सभी उपार्जन केंद्रों में पर्याप्त बारदाना उपलब्ध रहा, तौल मशीनों की क्षमता और संख्या बढ़ाई गई, परिवहन और उठाव के अनुबंध समय से पहले किए गए, गोदाम व्यवस्था मजबूत की गई और समितियों को कार्य कुशलता के लिए अधिकार दिए गए। डिजिटल मॉनिटरिंग और दैनिक समीक्षा व्यवस्था ने पूरे तंत्र को समयबद्ध, जिम्मेदार और सक्षम बनाया। परिणामस्वरूप न भीड़ और न भुगतान में विलंब जैसी स्थितियां सामने आईं। किसानों के लिए यह खरीदी किसी उत्सव से कम अनुभव नहीं बनी।
किसान की मुस्कान की जीत – भरोसा, गरिमा और आर्थिक सुरक्षा का नया युग
जो बदलाव किसानों ने अनुभव किया है वही इस खरीदी व्यवस्था की असली उपलब्धि है। किसानों के अनुसार इस वर्ष तौल मशीनें तेजी से कार्य कर रही हैं, टोकन व स्लॉट सिस्टम के कारण अनावश्यक प्रतीक्षा नहीं है, पीने के पानी, बैठने की सुविधा और मेडिकल सहायता उपलब्ध है। सुरक्षा, अनुशासन और सम्मानकृतीनों तत्व उपार्जन केंद्रों में स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। किसान परिवारों के लिए खरीदी सिर्फ आर्थिक लाभ नहीं बल्कि सामाजिक प्रतिष्ठा और भविष्य की सुरक्षा लेकर आ रही है। खेत से लेकर बैंक खाते तक की हर प्रक्रिया रियल-टाइम डिजिटल निगरानी में संचालित हो रही है, जिससे धोखाधड़ी और कटौती की आशंका समाप्त हो गई है। किसानों ने स्पष्ट कहा कि वे पहली बार महसूस कर रहे हैं कि शासन उनके साथ खड़ा है।
मुख्यमंत्री साय का स्पष्ट संदेश – किसान की मुस्कान ही सरकार की सफलता है
इस खरीदी मॉडल के मूल में केवल प्रशासनिक प्रणाली नहीं बल्कि मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि खरीदी में किसी कृषि परिवार को परेशानी नहीं होनी चाहिए, भुगतान में देरी नहीं होगी और पारदर्शिता सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगी। यही कारण है कि वित्तीय प्रबंधन, भंडारण, परिवहन, दैनिक समीक्षा और शून्य सहनशीलता नीति ने धान खरीदी को राष्ट्रीय स्तर पर मिसाल बना दिया है। छत्तीसगढ़ ने साबित किया है कि जब नीतियां ईमानदार होती हैं तो वे केवल फसल ही नहीं बल्कि अन्नदाता का सम्मान भी खरीदती हैं। नई व्यवस्था आने वाले वर्षों में कृषि अर्थव्यवस्था को और मजबूत करेगी और भारत के किसान को केवल उत्पादनकर्ता नहीं बल्कि देश की आर्थिक प्रगति का सबसे बड़ा भागीदार बनाएगी। खरीदी के आंकड़े गवाह हैं कि जिले ने किसान सम्मान और सुशासन का ऐसा स्वर्णिम अध्याय लिखा है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा।

