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कांकेर जिला म पर्यटन विकास के अपार संभावना हावय

कांकेर जिला मनमोहक पहाड़, जंगल अउ झरना ले भरे हावय

गांव गोटीटोला, उदकुरा के पहाड़ी म बहुत प्राचीन एलियन जइसे आकृति हावय

बस्तर के वेलकम गेटवे कहे जाये वाला कांकेर जिला म अपन प्राकृतिक संसाधन के अलावा अलग-अलग क्षेत्र म सांस्कृतिक, पुरातात्विक अउ ऐतिहासिक धरोहर हावय। इहां पर्यटन के अपार संभावना हावय, जेला संरक्षित अउ विकसित करे के जरूरत हावय। एक कोति जिहां जिला म प्राकृतिक झरना- मालाजकुंदुम (कांकेर) अउ चर्रे-मुर्रे (अंतागढ़) स्थित हावय, उहां जिला मुख्यालय म ऊंची पहाड़ी के बीच स्थित गढ़िया पर्वत अपन प्राकृतिक सुंदरता के खातिर प्रसिद्ध हावय। येकर अलावा इहां केऊ प्राकृतिक गुफा तको मौजूद हावयं, जेमा जोगीगुफा, रानीडांगी, गांव उरकुरा अउ गोटीटोला उक शामिल हावयं।

गांव गोटीटोला के पहाड़ी म बहुत प्राचीन रॉक पेंटिंग हावय

जिला मुख्यालय ले लगभग 30 किलोमीटर दूरिहा चारामा विकास खंड के गांव गोटीटोला के पास पहाड़ी के बीच म रामगुड़ा नाम के एक विशाल गोलाकार चट्टान ब्लॉक हावय, जेकर परत म रहस्यमय आकृति उकेरे गे हावय। ये अपन आप म रहस्य अउ जिज्ञासा के विषय हावय। ये आंकड़ा कतका प्राचीन हावय ये पुरातात्विक अनुसंधान अउ जांच के विषय हावय, फेर गांव वाला के कहना हावय के ये बहुत प्राचीन आकृति हावयं, जेन लगभग 7 ले 10 हजार साल पुराना हावयं। ग्रामीण भूमिलाल मंडावी ह बताइन के ये गांव वाला के खातिर आस्था अउ धार्मिक महत्ता के क्षेत्र हावय। उहें, इहां हर बछर कृष्ण जन्माष्टमी अउ नवरात्रि परब के दउरान बिसेस पूजा-पाठ करे बर आथे।

एलियन आकार अनुसंधान के विषय हावयं

पुरातत्वविद् के मुताबिक ये चित्र म दर्शाये गे जीव छॉलीवुड अउ बॉलीवुड फिल्म म दिखाये गे एलियंस ले बहुत मिलते-जुलत हावयं। स्थानीय निवासी मन म ये चित्र के बारे म आने-आने मान्यता हावय। कतकोन उंकर पूजा करत हावयं, त कोनो अपन पुरखा ले सुनइया किंवदंती के उल्लेख करत हावयं, जेमा ‘रोहेला’ (छोटे आकार के जीव) के उल्लेख शामिल हावय। ये चित्र म जीव हथियार जइसे वस्तु धरे आकृति हावयं, फेर उंकर नाक अउ मुंह साफ नइ हावय। कतकोन फोटो म ओमन स्पेस सूट पहने दिखत हे। ये तको उल्लेखनीय हावय के ये चित्र म दिखाये गे फ्लाइंग स्क्वाटर्स पंखा जइसे एंटीना अउ तीन पैर वाला स्टैंड वाला यूएफओ जइसे दिखत हावयं, जइसे फिल्म म दिखाये गे हावय। ये चित्र के रंग प्राकृतिक हावयं, जेन हजारों साल बाद भी फीका नइ होए हावयं। हालाँकि ये संभवतः प्रागैतिहासिक मनुष्य के कल्पना के परिणाम हावय, फेर ए विषय म अउ जादा शोध के जरूरत हावय।