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उद्यानिकी फसलों की खेती में शासन द्वारा दिया जा रहा है बढ़ावा

प्रदेश में सब्जी, फल-फूलों की खेती में भी शून्य प्रतिशत की दर से अल्पकालीन ऋण की सुविधा

प्रदेश में सब्जी, फल-फूलों की खेती

उद्यानिकी फसलों की खेती में शासन द्वारा दिया जा रहा है बढ़ावा

 

छत्तीसगढ़ में उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। किसानों को उद्यानिकी फसलों के लिए शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर तीन लाख रूपए तक का ऋण दिया जा रहा है।  उद्यानिकी फसलों की उन्नत खेती के लिए तकनीकी मार्गदर्शन और उन्नत खेती के लिए सिंचाई सहित विभिन्न उपकरणों पर अनुदान भी दिया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में उद्यानिकी फसलों का रकबा 834.311 हेक्टेयर है और उत्पादन 11236.447 मीट्रिक टन है। शासन की योजनाओं के फलस्वरूप किसान उद्यानिकी फसलों की खेती की ओर प्रेरित हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि उद्यानिकी फसलों की खेती में परंपरागत् खेती की अपेक्षा तीन गुणा अधिक फायदा होता है।
छत्तीसगढ़ में मुख्यतः टमाटर, हरी मिर्च का उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ में कई प्रकार की भाजियां पालक, लालभाजी, चेंचभाजी, चौंलईभाजी, पटवाभाजी, मुनगाभाजी, कुसुमभाजी,  प्याजभाजी अन्य कई प्रकार की भाजियां पाई जाती है, जिसकी खपत मुख्यतः छत्तीसगढ़ में ही होती है। सब्जियों में भिंडी, परवल, फूलगोभी, पत्ता गोभी, भाटा, करेला, सेमी, कुंदरू, कटहल, मुनगा इत्यादि सब्जियां और फलों में अंगूर, केला, अनानास, पपीता, काजू, अमरूद का उत्पादन होता है साथ ही कई प्रकार के फूलों की खेतीे होती है।
राज्य शासन द्वारा चलाई जाने वाली योजनाएं
राज्य शासन द्वारा फल पौध रोपण हेतु, नदी कछार/तटों पर  लघु सब्जी उत्पादक समुदायों को प्रोत्साहन की योजना, बी.पी.एल एवं लघु/सीमांत कृषक बाड़ी में टपक सिंचाई योजना, कम्यूनिटी फेसिंग योजना, पोषण बाड़ी विकास योजना सहित अन्य योजना राज्य शासन द्वारा चलाई जा रही है।
कृषकों को दी जा रही है अनुदान सहायता
इसी तरह संरक्षित खेती के अंतर्गत ग्रीन हाउस स्ट्रक्चर, फैन एंड पैड सिस्टम के निर्माण पर प्रति हितग्राही अधिकत 4000 वर्ग मी. हेतु कुल लागत का 50 प्रतिशत अनुदान की सहायता दी जाती है। इसी तरह नैचुरल वेंटीलेटैड सिस्टम, टयूब्यूलर स्ट्रक्चर शेडनेट हाऊस, पाली हाऊस के निर्माण में प्रति हितग्राही अधिकतम 4000 वर्ग मी. तक सीमित कुल लागत का 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। विभाग में संचालित किसान कॉल सेन्टर 1800-180-1511 के द्वारा किसानों को सलाह भी दी जाती है।