मेरे बड़े बाबूजी को श्रद्धांजलि
रचना- मेरे बड़े बाबूजी को श्रद्धांजलि
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ये मोर बाबू बेटी ह तोरे करंव सुरता।
कबके देखे असन मोला लागे
आजा न बाबू जोहंव रद्दा ला।
1,अंगरी धर के मोला रेंगाये
अपन खँधईया मोला चढ़ाये
अपन पीठाइँहा मोला चढ़ाये।
नोनी नोनी कहिके मोला पुचकारे
आजा न बाबू जोहंव रद्दा ला
2,अपन कोरा मा मोला खेलाये
रोवत रहंव त मोला हंसाये।
बेटी बेटी कहिके मोला दुलारे
आजा न बाबू जोहंव रद्दा ला।
3,मोर खुशी बर तँय बिकट कमाए।
दू कुर्ता मा जिनगी पहाये
बेटी बिहाये अउ बेटी पठोये
अपन दुःख ल ग कइसे छुपाए
छुप छुप के रोये बताये कहाँ।
ये मोर बाबू ,बेटी ह तोरे करँव सूरता।
कबके देखे असन मोला लागे
आजा न बाबू जोहंव रद्दा ला।
रचनाकार-डॉ तुलेश्वरी धुरंधर,
अर्जुनी ,बालोदाबाज़ार ( छत्तीसगढ़)