36 गढ़ीFEATUREDसाहित्य

मेरे बड़े बाबूजी को श्रद्धांजलि

रचना-   मेरे बड़े बाबूजी को श्रद्धांजलि
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ये मोर बाबू बेटी ह तोरे करंव सुरता।
कबके देखे असन मोला लागे
आजा न बाबू जोहंव रद्दा ला।

1,अंगरी धर के मोला रेंगाये
अपन खँधईया मोला चढ़ाये
अपन पीठाइँहा मोला चढ़ाये।
नोनी नोनी कहिके मोला पुचकारे
आजा न बाबू जोहंव रद्दा ला

2,अपन कोरा मा मोला खेलाये
रोवत रहंव त मोला हंसाये।
बेटी बेटी कहिके मोला दुलारे
आजा न बाबू जोहंव रद्दा ला।

3,मोर खुशी बर तँय बिकट कमाए।
दू कुर्ता मा जिनगी पहाये
बेटी बिहाये अउ बेटी पठोये
अपन दुःख ल ग कइसे छुपाए
छुप छुप के रोये बताये कहाँ।
ये मोर बाबू ,बेटी ह तोरे करँव सूरता।
कबके देखे असन मोला लागे
आजा न बाबू जोहंव रद्दा ला।

रचनाकार-डॉ तुलेश्वरी धुरंधर,

अर्जुनी ,बालोदाबाज़ार ( छत्तीसगढ़)